मेरे राम का मुकुट भीग रहा है

राम यदि वन में नहीं जाते तो क्या उनका चरित्र इतना उद्दात होता? नहीं होता। वे एक राजकुमार से राजा बनते। ऐसा राजा जो आदर्श की मिसाल कायम करे किन्तु उनका चरित्र वैसा व्यापक न होता जैसा वनगमन के उपरांत हुआ। वनवास ने ही राम को 'रम' बनाया। वे प्रकृति के पास गए तो प्रकृति ने भी उनको बहुत कुछ दियावनवासियों का अकूत स्नेह। यहाँ स्मरण रहे कि वनवासियों में चर-अचर सभी सम्मिलित हैं। पर्वत-कंदरा, नदी-सरोवर, पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, कीट-पतंगे आदि इत्यादि। मानों कि संपूर्ण वन प्रांतर ही राममय हो गया था।